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जीवित रहते ही बुजुर्गों की आज्ञा पालन व सेवा करें : ममतानी

श्री कलगीधर सत्संग मंडल ने ऑनलाईन गुरु नानकदेव का ज्योति - ज्योत गुरपूरब दिवस मनाया 

नागपुर। जरीपटका स्थित श्री कलगीधर सत्संग मंडल द्वारा ऑनलाईन लाईव टेलिकास्ट आयोजित श्री गुरु नानकदेव ज्योति ज्योत गुरपूरब दिवस कार्यक्रम में अधि. ममतानीजी ने श्री गुरु नानकदेवजी द्वारा अपने पितरों का श्राद्ध मनाने व गुरुजी के ज्योति ज्योत संबंधी प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि जब सप्तमी के दिन गुरुजी को यह लोक छोड़ने का पूर्वाभास हुआ तो उनकी धर्मपत्नी सुलक्षणी ने अष्टमी के दिन अपने ससुर पिता कालूराय का श्राद्ध करने हेतु विनंती की। अगले दिन अष्टमी को गुरुजी ने अपने पिता के श्राद्ध निमित्त परमात्मा का नाम सिमरन कर संगत को लंगर (भोजन) खिलाया। दो दिनों के उपरांत दसमी के दिन गुरुजी एक कक्ष में अंर्तध्यान हो गए। शिष्यों द्वारा कक्ष में देखने पर गुरुजी की शय्या पर सिर्फ कपडे ही मिले क्योंकि गुरुजी इस लोक से सशरीर सचखण्ड हेतु प्रस्थान कर गये, जैसे भगत कबीर ने किया था। वह दसमी का दिन कालनिर्णय के अनुसार आज तारीख 12 सितंबर 2020, शनिवार को है। अतः अधि. ममतानीजी ने उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को बताया कि कलियुग में श्राद्ध पितरों को खाद्य सामग्री पहुंचाने का सही मार्ग है, बशर्ते श्राद्ध विधीपूर्वक व हरिकीर्तन के साथ किया जाए। गुरुनानकदेवजी ने भी श्राद्ध के संबंध में बताया है कि 'नानक अगै सो मिलै जि खटे घाले देइ' अर्थात वही खाद्य सामग्री पितरों को मिलती है, जो मेहनत की कमाई व सत्व्यवहार से की गई है। अधि. ममतानी ने बताया कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित भगत कबीरजी की बाणी 'जीवंत पितर न माने कोऊ मूए सिराध कराही' का अर्थ बताते हुए कहा कि कबीर के पड़ोस में एक पुत्र अपने वृद्ध पिता को जीवित रहते हुए गाली गलौच व मारपीट करता था परंतु मृत्यु पश्चात श्राद्ध करने लगा, तब कबीर उपरोक्त शबद का उच्चारण करते हुए समझाया कि जो जीवित बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते व मरणोपरांत श्राद्ध करते हैं, उनका श्राद्ध पितरों तक न पहुंचकर कौए. कुत्ते आदि को ही प्राप्त होता है क्योंकि ऊपर क्रोधित पितर उसे स्वीकारने से इंकार करते हैं, अतः अधि. ममतानी जी ने समझाया कि जीवित रहते ही बुजुर्गों की सेवा, आज्ञा मानकर उन्हें प्रसन्न करना चाहिए व सत्व्यवहार का पालन करना चाहिए।  अधि. ममतानीजी ने अपने प्रवचन में कहा कि ऐसे महापुरुषों का ज्योति - ज्योत गुरपूरब दिवस मनाने का कारण यही है कि उन्हें याद कर सभी प्रभू सिमरन से जुड़ जाएं जिससे उनके तन-मन-धन के दुख दूर हो जाएं। लाईव टेलिकास्ट कार्यक्रम का शुभारंभ पांच श्री जपुजी साहिब के पाठ से हुआ, तत्पश्चात रागियों ने एक ही लय सुरताल में सुखमनी साहिब का पाठ किया। लाईव टेलिकास्ट कार्यक्रम का समापन विधिपूर्वक आरती, अनंद साहिब, दस गुरुओं व दसम ग्रंथ वर्णित आदि शक्ति भवानी माता स्तुति, अरदास व प्रसाद वितरण के साथ हुआ। हजारों श्रद्धालुओं ने मंडल के यूटयुब चैनल व फेसबुक पर ऑनलाईन हिस्सा लेकर गुरुनानक देवजी का ज्योति-ज्योत दिवस गुरुपुरब श्रद्धापूर्वक मनाया। 
धर्म 9153907352067356096
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