माधुरी राऊलकर की ‘हर लफ़्ज में रोशनी' ग़ज़ल संग्रह लोकार्पित
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नागपुर। जरूरी नहीं था मगर तलाशा सफर में नया सफर तलाशा।
हर लफ़्ज में रोशनी ढूंढकर हमने ग़ज़ल का हुनर तलाशा। यह ग़ज़ल की पंक्तियों है नगर की कवयित्री माधुरी राऊलकर की। 'हर लफ्ज़ में रोशनी' इस ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण समारोह विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभागृह में सम्पन्न हुआ। प्रक्षेप प्रकाशन से प्रकाशित यह माधुरी राऊलकर का उन्नीसवा (19) ग़ज़ल संग्रह है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सागर खादीवाला की अध्यक्षता में हुये इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक एम. ए. कादर और इंडियन मेडिकल असोशिऐशन की अध्यक्षा डॉ. वंदना काटे।
कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमती मीरा जोगलेकर की सरस्वती वंदना से हुई। अतिथियों द्वारा माधुरी राऊलकर का शाल, पुष्पगुच्छ और श्रीफल से सत्कार किया गया। प्रमुख अतिथि डॉ. वंदना काटे ने कहा कि मैंने इनकी ग़ज़ले पढ़ी है वह ज़िन्दगी के बहुत करीब होती है और आशावादी होती है। डॉ. सागर खादीवाला ने कहा कि जब से इन्होंने लिखना शुरू किया तबसे ही इनकी ग़ज़लों कि सादगी नें प्रभावित किया। एम. ए. कादर ने भी उन्हें निरंतर लिखने के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर माधुरी ने अपनी दो ग़ज़ले प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन अनिल मालोकर और आभार अविनाश बागडे ने माना।
कार्यक्रम में डॉ. सुवास राऊलकर, नरेंद्र परिहार, प्रा. आनंद देशकर, टिकाराम शाहू, संतोष बादल, भोला सरवर, कृष्णकुमार द्विवेदी, शादाब अंजुम, डॉ. बालकृष्ण महाजन, ख्वाजा साजिद, सुरेन्द्र हरडे, शमशाद शाद, प्रकाश कांबळे, राहुल गुप्ता, आदेश जैन, सुरेश विंचुरकर, प्रवीण पांडे, हृदय चक्रधर, डॉ. वैष्णव महंत, डॉ. आदेला खादीवाला, पुष्पा पांडे, प्रभा मेहता, नीलम शुक्ला, पूनम मिश्रा, रूबी दास, पूनम हिन्दुस्थानी, हेमलता मिश्र, अमिता शाह, रीमा चड्ढा, मधु सिंघी, विमलेश सूर्यवंशी, माया शर्मा, मिली विकमसी, रमा वर्मा, कृष्णा कपूर, सोनम सिंह, स्वर्णिमा सिन्हा इत्यादि साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।